लेखक यू बी तिवारी सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता सिंचाई विभाग *संस्मरण* “चारपाई का जुगाड़“ यह घटना लगभग १९६४ की है। हमारा गांव ब्राम्हणों का गांव था जो छोटे मोटे जमींदार थे। अपने हाथ से खेती करना उस समय अपमानजनक माना जाता था। 1952 में जमींदारी उन्मूलन पर जो लोग खेती में ...
Read More »‘एडीएम मिश्रीलाल का भ्रष्टाचार! ‘ : हरिकांत त्रिपाठी IAS
जब ज़िलाधिकारी की पत्नी ने ज़िलाधिकारी को यह सब बताया तो ज़िलाधिकारी आगबबूला हो गये और उन्होंने तुरन्त पुलिस अधीक्षक एस के सिंह को बुलाया और सारी बातों से अवगत कराया । यह तय हुआ कि ए डी एम के घर से जो उनके हिस्से की धनराशि हो, उसे भी ...
Read More »यात्रा संस्मरण: राम विलास पासवान के साथ न्यूयार्क में: जयशंकर गुप्त
जयशंकर गुप्त बात वर्ष 2008 के जून महीने की है. अमेरिका में किसी पहले अल्पसंख्यक-अश्वेत के रूप में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार बराक ओबामा का राष्ट्रपति बनना तय सा हो गया था. और इधर हमारे देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के राजनीतिक माहौल में अमेरिका के साथ परमाणु करार को ...
Read More »संस्मरण: घर की वो गरिमापूर्ण देहरी: अशोक त्रिपाठी
वरिष्ठ पत्रकार अशोक त्रिपाठी लखनऊ। पहले एक घर होता था जिसमें बड़ा सा परिवार रहता था। अब घर तो बड़ा होता है लेकिन उसमें परिवार बहुत छोटा रहता है। परिवार में तब आजकल की तरह पति, पत्नी और उनके बच्चे ही उसमें नहीं रहते थे बल्कि दादा दादी, ताऊ ...
Read More »पार्टी आदेश करे तो मैं इस दीवार से भी कूद जाऊं: लालजी टंडन
यादों में अनकही बात डॉ दिलीप अग्निहोत्री आदरणीय लाल जी टण्डन अब हमारे बीच नहीं है। उन्होंने अपनी पुस्तक अनकहा लखनऊ में अनेक तथ्य उजागर किये थे। मिलनसार होना लखनऊ के चिर परिचित मिजाज रहा है। लाल जी टण्डन की जीवन शैली इसी के अनुरूप थी। तरुण अवस्था में वह ...
Read More »लालजी टंडन : समझदार नेता, दयालु इंसान: रतिभान त्रिपाठी
—-यादें आती हैं— वरिष्ठ पत्रकार रतिभान त्रिपाठी उत्तर प्रदेश में अटल युग के कीर्ति स्तंभ के रूप में महसूस किए जाने वाले राजनेता लाल जी टंडन नहीं रहे। आज सुबह सुबह जब मैंने मोबाइल उठाया तो पत्रकार साथी श्रीधर अग्निहोत्री का मेसेज पहले पहल दिखा। सूचना थी कि मध्यप्रदेश के राज्यपाल ...
Read More »वीराने का बादशाह : रामधनी द्विवेदी
रामधनी द्विवेदी वीराने का बादशाह उस दिन बहुत तेज आंधी आई थी। हम लोग गांव में ऐसी आंधी को लंगड़ी आंधी कहते हैं। पश्चिमी आकाश में अंधेरा सा उठता और हाहाकार करता आंधी-तूफान आता। उसके गुजर जाने के बाद विनाश के अवशेष दिखते, किसी का छप्पर उड़ गया होता तो किसी का ...
Read More »“ये उन दिनों की बात है” :1: सिद्धार्थ सिंह
“हिसाब किताब” अपना किस्सा सुनाने से पहले यह बात स्पष्ट बता दूँ, कि मैं कोई कहानीकार, स्तंभकार या साहित्यकार नहीं हूं। इसलिए मेरी भाषा “बातचीत की हिंदुस्तानी होगी” और जाहिर सी बात है, ग़लतियों एवं त्रुटियों से अलंकृत रहेगी। साथ ही आपको मेरी लेखनी में “हम” और “हमारे” का प्रयोग ...
Read More »“मेरे बाबू जी की अद्भुत जीवन यात्रा”: राम जनय चौधरी
राम जनय चौधरी मेरे बाबू जी की अद्भुत जीवन यात्रा भावनाओं की नीरनिधि को शब्दों में अंकित करना कितना ही दुष्कर है शब्द निधि से चुने हुए शब्द इन्हें सजीव रूप से व्यक्त करने में अक्षम जान पड़ते हैं उफ़! हमारा अज्ञान! क्या हम इस ह्रदय में घुमड़ती वेदनाओं और भावों को कभी प्रकट कर पाएंगे या यूँ ही यह उद्विग्नता मुझे अंतर्मन के विथावान वीथियों में कुंठित करती रहेगी! इनका प्रकटीकरण, निकास मेरे स्वतंत्र बोध व चेतन मन के लिए अति आवश्यक है। क्या करूँ, किससे कहूँ, क्या लिखूं ? ऐसा कुछ भी करना या शब्दों में विन्यासित करना, इन असीमित भावनाओं को सीमांकित करने सा होगा।अतःमैं अनुताप से कहीं अधिक अग्रताप से व्यथित हूं, पश्चाताप तो इसका नैसर्गिक पर्यवसान है।संभवतः यह अग्रताप फलित अनुताप ही मुझे मेरे भीतर घुमड़ते भावों से निवृत कर मुझे परिष्कृत करेंगे।नियति से मैं वो श्रेष्ठ पथिक नहीं हूँ जिन्हें अपने यात्रा में अपने जनक के वृद्धावस्था में सेवा करने का उचित अवसर मिल पाया हो, क्योंकि स्वभाव से वह यायावर थे; स्थिर व निष्क्रिय रहना उनके प्रकृति में नहीं था।वह तो स्पंदित करने वाली बयार की तरह थे जो अपने साथ सदैव ही भावस्निग्धिता को पल्लवित करते अविरलप्रवाहित यात्रा पर रहते थे, कोइ एक ठौर नहीं था। उसी यात्रा पर मेरे जनक श्री महेश नारायण चौधरी जी बढ़ते हुए क्षितिज के पार व्योम में ज्ञान रश्मि बिखेरने विदेह मुक्त चल पड़े है। वह एक ज्ञान दूत थे। बहुआयामी व्यक्तित्व उनकी विशिष्टता थी। किसी एक विशिष्ट क्षेत्र में उनके कार्यों व योगदान को सीमित नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह जहां एक तरफकिसान थे, वहीँ मिथिला क्षेत्र में अपने समय के प्रसिद्ध गायक थे; जहां वह पत्रकारिता के द्वारा समाज सेवा में लगे रहे, वहीँ आयुर्वैदिक पद्धति से गरीबों व जरूरतमंदों का इलाज करते थे; जहाँ उनको किसी भी विषय को जानने के लिए किसी जिज्ञासु अध्येता सा उत्कंठा थी, वहीँ वह एक कुशल शिक्षक थे। विरले ही ऐसे उदाहरण होंगे जब विविध गुणों से परिपूर्ण जीवन रचना उपलब्ध हों । उनकी जीवन यात्रा अद्भुत उदाहरणों से भरी ...
Read More »“आप बहुत याद आएंगे निकुंज जी” : रतिभान त्रिपाठी
एक बेहतरीन शिक्षक, उम्दा शायर और कलम के धनी पत्रकार का यूं चले जाना मन को दुखी करता है…..! वरिष्ठ पत्रकार रतिभान त्रिपाठी की कलम से कहते हैं जब कोई नहीं होता तो उसकी कीमत पता चलती है। निकुंज मिश्र ‘किश्वर’ कितने बेशकीमती थे, इसका अहसास अखबारों को अब होगा, ...
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