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Tag Archives: प्रोफेसर कृपाशंकर पाण्डेय

“हिन्दी ज्ञान, विज्ञान, तकनीकी, भावना, आदर्श, पीड़ा वेदना आदि सबकी समर्थ भाषा है”

  हिन्दी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित व्याख्यानमाला के प्रथम सत्र में बोलते हुए महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, गुजरात की हिन्दी विभागाध्यक्षा, प्रोफेसर कल्पना गवली ने कहा कि आज हिन्दी विश्व की 10 चर्चित भाषाओं में से एक है। 137 देशों में हिन्दी को किसी न किसी रूप में समझा जाता ...

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सन्तों की प्रसिद्ध घोषणा है “जब आवे सन्तोष धन, सब धन धूरि समान”

  हिन्दी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित व्याख्यानमाला के प्रथम सत्र में बोलते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अनिल राय ने कहा कि भक्ति मनुष्यता की भावना को ध्यान में रखकर आगे बढ़ने की भावना का नाम है। भक्तों ने जिस सन्तोष भाव को केन्द्र में रखकर रचनायें कीं वह ...

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“आलोचना साहित्य का मस्तिष्क है और यह पाठक के लिए भी महत्वपूर्ण है”

Prayagraj. हिन्दी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित व्याख्यानमाला के प्रथम सत्र में बोलते हुए संत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के डॉ. मनोज पाण्डेय जी ने कहा कि आलोचना साहित्य का मस्तिष्क है और यह पाठक के लिए भी महत्वपूर्ण है तथा आलोचक के लिए भी। रचना और ...

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“पूर्वाग्रह से मुक्त होकर कबीर को पढ़े जाने की आवश्यकता है”: प्रोफेसर चन्दन कुमार

हिन्दी विभाग इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित व्याख्यानमाला के प्रथम सत्र में बोलते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्रोफेसर चन्दन कुमार ने कहा कि हिन्दी के मध्यकाल के प्रामाणिक पाठ राग, रागिनी प्रधान पाठ हैं। कबीर के पद भी इन्हीं राग रागनियों में आबद्ध हैं। कबीर भक्ति और योग ...

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“रीतिकालीन कविता केवल रीतिबद्धता, श्रंगार और नीति की ही कविता नहीं है, यह भक्ति की भी कविता है”

हिन्दी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित व्याख्यानमाला के प्रथम सत्र में बोलते हुए राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के हिन्दी विभाग के प्रोफेसर नन्द किशोर पाण्डेय जी ने कहा की रीतिकालीन कविता केवल रीतिबद्धता, श्रंगार और नीति की ही कविता नहीं है। यह भक्ति की भी कविता है। इल्तुतमिश के काल में ...

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मैथिली शरण गुप्त जी के राम की घोषणा है “भव में नव वैभव व्याप्त कराने आया, इस भूतल को ही स्वर्ग बनाने आया”

  हिन्दी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित व्याख्यानमाला के प्रथम सत्र में बोलते हुए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, दिल्ली के हिन्दी विभाग के प्रोफेसर नरेन्द्र मिश्र ने कहा कि मैथिलीशरण गुप्त जी मानवतावादी, नैतिकता वादी, समन्वयवादी, व्यष्टि और समष्टि का समन्वय करने वाले, नर और नारायण का समन्वय करने ...

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“हमें यह चिंता करनी चाहिए कि भारत की ये बोलियां रोमन की जगह देवनागरी लिपि में लिखी जाएं”: प्रोफेसर दिनेश कुमार चौबे

हिन्दी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ऑनलाइन व्याख्यानमाला में बोलते हुए पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय, मेघालय के हिन्दी विभाग के प्रोफेसर दिनेश कुमार चौबे ने कहा कि पूर्वोत्तर भाषा वैविध्य के लिए प्रसिद्ध है। वहां असमिया, बंगाली और नेपाली के साथ साथ बोडो, कछारी, जयंतिया, कोच, गारो, नागा, खासी जैसी बोलियां ...

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“अकेलापन अभिशाप है, पर एकांत अभिशाप नहीं है… इसी एकांत को प्राप्त करने का साधन है, मेडिटेशन”

“रामचरितमानस और व्यक्तित्व निर्माण” प्रयागराज। हिन्दी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित व्याख्यानमाला के प्रथम सत्र में बोलते हुए तमिलनाडु केन्द्रीय विश्वविद्यालय, तमिलनाडु के हिन्दी विभाग के प्रोफेसर एस.वी.एस.एस. नारायण राजू ने “रामचरितमानस और व्यक्तित्व निर्माण” विषय पर विचार रखे। उन्होंने कहा कि हमें पहले अपने को पहचानना चाहिए। इस दिशा ...

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“आज असली दलित और नकली दलित का भी विमर्श चल पड़ा है”: प्रोफेसर सुरेश चंद्र

प्रयागराज। हिन्दी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित व्याख्यानमाला के प्रथम सत्र में “दलित विमर्श और साहित्य” विषय पर बोलते हुए दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर सुरेश चंद्र ने कहा कि आज दलित सर्वाधिक चर्चित शब्द है और यह पिछले 50 वर्षों से चर्चा में ...

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“साहित्येतिहास दर्शन का आदर्श है आग्रह मुक्त होकर साहित्य का अध्ययन, अध्यापन, पठन और पाठन”

हिन्दी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित आनलाइन व्याख्यानमाला और वेबीनार में बोलते हुए महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा, महाराष्ट्र के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर अवधेश कुमार ने कहा कि प्रत्येक देश का साहित्य वहां की जनता की चित्तवृत्ति का संचित प्रतिबिम्ब होता है। कोई भी ऐसी रचना साहित्येतिहास में ...

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