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Tag Archives: Acharya Amitabh Prayagraj

सुदेवी गौड़: 3 : 1956/57 में लिखी दो लघु कथाएं

दो लघु आख्यायिकाएं  मूल बांग्ला कृति लेखक बालाई चंद्र मुखोपाध्याय (बनफूल) अनुवादिका श्रीमती सुदेवी गौड़ एम. ए. साहित्य रत्न, साहित्यालंकार संख्या 1 आत्मज्ञान 7/06/1957  ‐———— सुबह से परिश्रम से चूर होने के कारण दोपहर के समय दक्षिण के बरामदे में बिस्तर डालकर जरा लेट गया था l तंद्रा अवस्था आरंभ ...

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गुरुपूर्णिमा: “बच्चों को उनकी आधुनिक शिक्षा प्राप्ति की प्रक्रिया के साथ-साथ प्राचीन पारंपरिक धार्मिक नैतिक मूल्य से परिचित कराने के साथ एक बड़ा पुनर्जागरण आंदोलन प्रारंभ करिए”: आचार्य श्री अमिताभ जी महाराज

आचार्य श्री अमिताभ जी महाराज अपनी माता श्रीमती सुदेवी गौड़, एम ए साहित्यरत्न, साहित्यालंकार के साथ गुरुपूर्णिमा: “बच्चों को उनकी आधुनिक शिक्षा प्राप्ति की प्रक्रिया के साथ-साथ प्राचीन पारंपरिक धार्मिक नैतिक मूल्य से परिचित कराने के साथ एक बड़ा पुनर्जागरण आंदोलन प्रारंभ करिए”: आचार्य श्री अमिताभ जी महाराज संपूर्ण विश्व ...

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कोरोना का हाल: इसके सांस्कृतिक और सामाजिक दुष्प्रभाव: आचार्य अमिताभ जी महाराज

आचार्य अमिताभ जी महाराज जबसे कोरोना का प्रारंभ हुआ है, तब से सारे थिएटर बंद हो गए हैं, सार्वजनिक सम्मेलन की समस्त संभावनाएं निषिद्ध हो गई हैं। किंतु व्यक्ति की अंतस चेतना में व्याप्त निरंतर और चिरंतन मनोरंजन प्राप्ति की पिपासा का समापन संभव नहीं हो पाया। अब इस आशा ...

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“श्रीमद्भागवत कथा: दत्तात्रेय उपाख्यान-चतुर्थ पुष्प “

“श्रीमद्भागवत कथा” “दत्तात्रेय उपाख्यान:4 “ आचार्य श्री अमिताभ जी महाराज हमें भी वायु से यह सीखना होगा कि बाहरी प्रभावों से प्रभावित होकर अपने व्यक्तित्व में किसी प्रकार का कोई असंतुलन उत्पन्न न करें। किसी ने हमारी निंदा कर दी, ऐसा प्रतीत हुआ कि किसी ने हमारी अवज्ञा कर दी ...

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“वाल्मीकि रामायण या श्री रामायण के प्रणेता महर्षि वाल्मीकि जन्मता पवित्र थे”: आचार्य अमिताभ

आचार्य अमिताभ जी महाराज दो शब्द भारतीय अस्मिता एवं विशेषकर श्रीमद् वाल्मीकि रामायण पर रामायण का ऐसा विशद स्वरूप है कि उसमें विद्वान कवियों की, लेखकों की अपनी-अपनी भाव से युक्त व्यंजनाओं का अद्भुत भाव प्रवाह देखने को मिलता है। भाषाओं का प्रश्न है तो तिब्बत, भूटान, मलय, जावा हिकायत ...

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अस्थाई वस्तुओं से सुख की कामना से स्थाई सुख नहीं मिलता : आचार्य अमिताभ

भविष्य की स्थितियों को लेकर सशंकित रहने से जीवन नष्ट ही होगा: आचार्य अमिताभ जी महाराज जीवन निरंतर प्रवाहित जल के समान होता है। जिस प्रकार से प्रत्येक क्षण पर जल की लहरों में जल परिवर्तित होता जाता है किंतु हम उसका अनुभव नहीं कर पाते हैं। उसी प्रकार से इस ...

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कौन हैं “शिव” ? : आचार्य अमिताभ जी महाराज

कौन हैं “शिव” ? : परमपूज्य आचार्य अमिताभ जी महाराज के उद्गार: 2 परमपूज्य आचार्य अमिताभ जी महाराज ने प्रयागराज के संगम तट अपने शिविर में शिव की महिमा का बखान करते हुए भक्तों के प्रश्नों के उत्तर दिए। उन्होंने श्रद्धालुओं की जिज्ञासाओं का शमन करते हुए बताया कि शिव वास्तव ...

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“वासुदेव का तात्पर्य है शुद्ध अंतःकरण”: आचार्य श्री अमिताभ जी महाराज

कृष्ण का जन्म कलयुग में भी संभव है किंतु उसके लिए वासुदेव जैसा पिता और देवकी जैसी मां का होना अत्यंत आवश्यक है।  आचार्य श्री अमिताभ जी महाराज ईश्वर तो सर्वत्र विद्यमान है, किंतु ऐसे महात्मा भी दुर्लभ हैं जो उसका दर्शन कर सकें।  एक उत्तम संतति को प्राप्त करने ...

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“श्रीमद्भागवत कथा: दत्तात्रेय उपाख्यान-द्वितीय पुष्प “

8400000 योनियों में से भटकते हुए जब व्यक्ति का पुण्य प्रभावी होता है, तब उसको यह मनुष्य शरीर प्राप्त होता है।  “श्रीमद्भागवत कथा” “दत्तात्रेय उपाख्यान “ द्वितीय पुष्प आचार्य श्री अमिताभ जी महाराज ईश्वर को प्राप्त करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम अपने आप को एक ...

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“श्रीमद्भागवत कथा: दत्तात्रेय उपाख्यान-प्रथम पुष्प “

यह शरीर एक हीरा है जिसके भीतर साक्षात् नारायण निवास करते हैं “श्रीमद्भागवत कथा” “दत्तात्रेय उपाख्यान “ प्रथम पुष्प आचार्य श्री अमिताभ जी महाराज जिनका मन विषयों में फंसा हुआ है वह उन कामनाओं का परित्याग कर सकें, यह बहुत कठिन और बहुत दुष्कर है।  इस संपूर्ण संसार से किस ...

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