केएम. अग्रवाल सालों से मन में यह बात आती थी कि कभी आत्मकथा लिखूँ। फिर सोचा कि आत्मकथा तो बड़े-बड़े लेखक, साहित्यकार, राजनेता, फिल्मकार, अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ी, वैज्ञानिक, बड़े-बड़े युद्ध जीतने वाले सेनापति आदि लिखते हैं और वह अपने आप में अच्छी-खासी मोटी किताब होती है। मैं तो एक साधारण, लेकिन समाज ...
Read More »मेरा जीवन’: के.एम. अग्रवाल: 32
रामधनी जी दैनिक जागरण बरेली में लगभग दस साल तक रहे और वहीं से 2009 में अवकाश ग्रहण किया लेकिन प्रबंधन ने उन्हें सेवा विस्तार दिया और 2010 में उनका स्थानांतरण दिल्ली (नोएडा) हो गया। जहां वह इस समय तक (2020) कार्यरत हैं। दैनिक जागरण की भाषा-वर्तनी पर उन्होंने काफी काम किया ...
Read More »केबी माथुर: ‘मेरा जीवन’: के.एम. अग्रवाल: 31
माथुर साहब ने खबरों के बारे में कोई समझौता नहीं किया। मंत्रियों के धमकाने में नहीं आए। एक अंशकालिक जिला संवाददाता को निकालने की सिफारिश उस समय के प्रभावशाली राजनीतिक अरुण नेहरू ने की, लेकिन माथुर सााहब नहीं माने। तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने भी माथुर साहब को अपने ...
Read More »‘मेरा जीवन’: के.एम. अग्रवाल: 29
“शिशिर बाबू के यशस्वी पुत्र, पत्रकारिता को समर्पित अमृत बाजार पत्रिका के मुख्य संपादक तुषार कांति घोष हार मानने वाले नहीं थे। दोनों अखबारों के बंद होने के बाद 1959 में ही उन्होंने नार्दर्न इंडिया पत्रिका नाम से अंग्रेजी अखबार निकालना शुरू किया, जो शीघ्र ही अमृत बाजार पत्रिका की ...
Read More »‘मेरा जीवन’: के.एम. अग्रवाल: 28
“मैंने लिफाफा खोला तो समाचार के साथ 5 रू का एक नोट भी था। मैंने उससे पूछा, ‘यह क्या है ?’ घबराते-घबराते उसने कहा, ‘इसके बिना कोई समाचार नहीं छापता।’ मैंने कहा, ‘इसे रखो और कल देखना, समाचार जरूर छपेगा।’ लड़का नोट लेकर चुपचाप चला गया।“ के. एम. अग्रवाल सालों ...
Read More »‘मेरा जीवन’: के.एम. अग्रवाल: 27
“जुलूस में कुछ बच्चे हाथी पर चढ़ गये। शेष बच्चे ‘भारत माता की जय’, गणतंत्र दिवस अमर रहे’ आदि नारे लगाते हुए हँसते-मुस्कुराते जुलूस में चल रहे थे। हमलोग चौक घंटाघर से नखासकोना की ओर बढ़ना चाहे तो पुलिस अधीक्षक ने अनुरोध करके रोक दिया। बोले, ‘उधर मत जाइये, अभी तनाव है।’ और बच्चों ...
Read More »‘मेरा जीवन’: के.एम. अग्रवाल: 26
“…इलाहाबाद में मैं अक्टूबर, 1978 से मार्च, 1989 तक अमृत प्रभात में रहा और इस बीच वहाँ के छोटे-बड़े कई अखबारों तथा पत्र-पत्रिकाओं के साथ कुछ चर्चित पत्रकारों को भी निकट से देखने का मौका मिला। वैसे तो इलाहाबाद की पत्रकारिता पर लिखना, स्वयं में एक बड़ा शोध कार्य होगा, ...
Read More »‘मेरा जीवन’: के.एम. अग्रवाल: 22
“…खबर छपते ही डा.सुधा हमारे पास आयीं और अनुरोध किया कि बालक को उन्हें दे दें, वह उसे सुरक्षित घर तक भेजवा देंगी। मैंने कहा कि दो दिन बाद मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्रा यहाँ आने वाले हैं, उनसे उसे मिलवा दें, तब फिर वह उसे ले जाँय। डा.सुधा कुछ घबरा सी रही ...
Read More »‘मेरा जीवन’: के.एम. अग्रवाल: 21
“…मेरे लिए तो सब कुछ बड़ा अजीब सा था। जीप की तेज रोशनी में हिरन और खरगोश की चमकती आँखें रह-रह कर दिखाई दे जातीं। चौबे जी ने साधकर निशाना मारा। एक हिरन को गोली जरूर लगी, लेकिन वह निकल भागा। खोजने पर भी वह झाड़ियों में नहीं मिला। “ के. ...
Read More »‘मेरा जीवन’: के.एम. अग्रवाल: 20
…अभी मैं मुख्य भवन के बाहर ही पहुँचा था कि सामने से आते हुए तमाल कांति घोष ने मुझे रोक लिया। नमस्कार हुआ। तमाल बाबू ने सीधे मुझसे कहा कि मैं यूनियनबाजी छोड़ दूँ। मैंने कहा, ” तमाल बाबू, मैं यूनियन में जरूर सक्रिय हूँ, लेकिन कभी भी पत्रिका प्रेस के ...
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