प्रीति हर्ष जिंदगी पानी के रंग सी ****************** आज फिर सुबह खिड़की के बाहर देखती भागती दौड़ती जिंदगी हर कोई अपनी ही धुन में और मैं ? मेरे पास समय ही समय यादों में खोई अचानक पहुंच गई वहाँ जब इन्हीं हाथों से कागज़ पर उकेरे जाते काले, सफेद, रंगीन ...
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