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अतुल चतुर्वेदी की पुस्तक ‘सियाहत मेरी स्याही से’ का विमोचन

**‘सियाहत मेरी स्याही से’ का विमोचन: औद्योगिक क्षमता और सांस्कृतिक संवाद पर जोर**
**नई दिल्ली, 16 दिसंबर**: इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में सोमवार को **‘सियाहत मेरी स्याही से’** पुस्तक का भव्य विमोचन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि **डॉ. शशि थरूर** ने लेखक **अतुल चतुर्वेदी** की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह कृति भारत के **एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग)** क्षेत्र की क्षमता और वैश्विक विस्तार की संभावनाओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती है। उन्होंने कहा कि फिरोज़ाबाद जैसे पारंपरिक कारीगरी केंद्रों को आधुनिक तकनीक और नीतिगत समर्थन के साथ वैश्विक उत्पादन हब के रूप में विकसित किया जा सकता है, जिससे भारतीय कारीगरों को नई ऊंचाइयां मिलेंगी।

**अतुल चतुर्वेदी**, जिन्होंने कांच उद्योग में भारत को वैश्विक पहचान दिलाई है, ने बताया कि उन्होंने व्यापारिक अवसरों को बढ़ाने के लिए कतर, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), फ्रांस, जर्मनी, इटली, इंग्लैंड और अमेरिका समेत कई देशों की यात्राएं कीं। उन्होंने इन यात्राओं के दौरान भारतीय कारीगरों की कला और देश की औद्योगिक प्रतिभा को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के दौरान **सुनीता द्विवेदी** ने अतुल चतुर्वेदी की यात्राओं को **मार्को पोलो**, **ह्वेनसांग** और **इब्न बतूता** जैसे महान यात्रियों की परंपरा से जोड़ते हुए कहा कि उनकी यात्राएं भारत की सांस्कृतिक और औद्योगिक धरोहर को दुनिया के सामने ले जाने का कार्य कर रही हैं।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विद्वान **डॉ. पुष्पेश पंत** ने कहा कि यात्राएं वैश्विक संबंधों और सांस्कृतिक संवाद का महत्वपूर्ण माध्यम रही हैं। उन्होंने कहा कि व्यापारिक यात्राओं ने सदियों से देशों और समाजों के बीच न केवल आर्थिक संबंधों को मजबूत किया है, बल्कि आपसी समझ और सांस्कृतिक प्रसार को भी बढ़ावा दिया है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर **डॉ. हेरम्ब चतुर्वेदी** ने उद्यमिता के सभ्यतागत महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि भारतीय समाज में व्यापार और कारीगरी की परंपरा अत्यंत पुरानी है। उन्होंने कहा कि फिरोज़ाबाद जैसे कारीगरी केंद्र न केवल आर्थिक समृद्धि के वाहक हैं, बल्कि यह भारत के सांस्कृतिक और उद्यमशीलता की निरंतरता को भी दर्शाते हैं।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने सहमति जताई कि औद्योगिक यात्राएं और सांस्कृतिक संवाद भारत की वैश्विक पहचान को और मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इस कार्यक्रम में ऑडिटोरियम में उपस्थित श्रोताओं ने भी वक्ताओं से प्रश्न पूछे जिनका वक्ताओं ने रोचक तरीके से उत्तर दिया।इस कार्यक्रम की विशेषता ये थी कि इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के सी डी देशमुख ऑडिटोरियम की 230 की क्षमता है और ऑडिटोरियम न सिर्फ खचाखच भरा हुआ था अपितु लगभग 100 से ज्यादा लोग गैलरी में और बाहर खड़े हुए थे तथा प्रकाशक राजकमल-लोकभारती प्रकाशन वाले लगभग 500 किताबें लाये थे वह भी हाथोंहाथ बिक गयीं तथा कई लोग किताब न मिल पाने से मायूस भी दिखे।
बहुत दिनों बाद लोगों में किसी हिंदी पुस्तक के प्रति इतना आकर्षण देखने को मिला।
इस कार्यक्रम में दूर-दूर से आये तथा दिल्ली के अनेकों सम्भ्रान्त लोगों ने सहभागिता की।
**पुस्तक**: सियाहत मेरी स्याही से
**लेखक**: अतुल चतुर्वेदी
**स्थान**: इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली
**आयोजक**: राजकमल प्रकाशन
**मुख्य अतिथि**: डॉ. शशि थरूर
#अतुल चतुर्वेदी #डॉ. शशि थरूर #सियाहत मेरी स्याही से Heramb chaturvedi Siyahat meri siyakhya se 2024-12-20
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