मन की बात का निहितार्थ
डॉ दिलीप अग्निहोत्री
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात में कोई राजनीतिक टिप्पणी नहीं करते। इस बार भी उन्होंने अपनी इस परम्परा का निर्वाह किया। उन्होंने कई प्रकार से इस संकट काल में राष्ट्रीय एकता को रेखांकित किया। कहा कि कोरोना के खिलाफ देश की जनता जंग लड़ रही है। किसी भी देश को आपदा में ऐसी एकजुटता पर गर्व हो सकता है। ऐसे ही मुद्दों पर राष्ट्रीय सहमति होनी चाहिए।
नरेंद्र मोदी ने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन कोरोना के खिलाफ जब राष्ट्रीय सहमति की बात चलेगी, तब भारत के ही कुछ विपक्षी नेताओं की तरफ ध्यान जाता है। प्रश्न यह है कि क्या यह लोग भी इस राष्ट्रीय सहमति के साथ है? क्या इनमें से किसी ने भी जमात की निदा की है, क्या इनके लिए यह भी वोटबैंक सियासत का अवसर नहीं था, क्या कारण है कि कांग्रेस के वर्तमान व पूर्व अध्यक्ष ने लॉक डाउन पर निराधार सवाल उठाए,क्या इन्होंने स्वास्थ सेवाओं पर निराश करने वाले बयान नहीं दिए। सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने कहा कि जांच में लापरवाही हो रही है। जबकि सरकार व चिकित्सकों ने पूरी क्षमता लगा दी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को अपने मासिक ‘मन की बात’ रेडियो संबोधन में कहा कि देश एक युद्ध में है। उन्होंने इस पर जोर दिया कि लोगों को सावधान रहने और सावधानी बरतने की जरूरत है। मोदी द्वारा सावधानी बरतने पर जोर ऐसे समय दिया गया है जब केंद्र सरकार और राज्य आर्थिक गतिविधियों को फिर से बहाल करने के लिए लॉकडाउन मानदंडों में छूट दे रहे हैं..।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपसे अति आत्मविश्वासी नहीं होने का आग्रह करता हूं। आपको अपने अति-उत्साह में यह नहीं सोचना चाहिए कि यदि कोरोना वायरस अभी तक आपके शहर, गांव, सड़क या कार्यालय तक नहीं पहुंचा है, तो यह अब नहीं पहुंचेगा। कभी भी ऐसी गलती न करें। दुनिया का अनुभव हमें इस संबंध में बहुत कुछ बताता है’’।
मोदी ने अपनी बात समझाने के लिए हिंदी के एक लोकप्रिय मुहावरे ‘सावधनी हटी, दुर्घटना घटी’ का उल्लेख किया।
सोनिया गांधी ने कहा कि लॉक डाउन जल्दीबाजी में लगाया गया, राहुल गांधी बोले कि लॉक डाउन समस्या का समाधान नहीं है। जाहिर है कि ऐसे बयानों से सरकार को घेरने और आमजन में निराशा फैलाने का प्रयास हो रहा था। विकसित देशों के पास बहुत संसाधन है, वह शतप्रतिशत जांच करने में समर्थ है। फिर भी स्थिति उनके नियंत्रण में नहीं है। वह नरेंद्र मोदी की तरफ देख रहे है। उन्हें लग रहा कि वह भी शुरू से ऐसे कदम उठाते तो हालात ऐसे न बिगड़ते। इस संदर्भ में मोदी की मन की बात को देखना होगा। वह आमजन को साथ लेकर चलने का प्रयास कर रहे है। कोरोना ऐसा ही संकट है,इसमें सबका सहयोग आवश्यक है। सरकार अपने दायित्व का निर्वाह कर रही है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत गरीबों के अकाउंट में पैसे सीधे ट्रांसफर किए जा रहे हैं। वृद्धावस्था पेंशन जारी की गई हैं। गरीबों को तीन महीने के मुफ्त गैस सिलेंडर राशन जैसी सुविधाएं भी दी जा रही हैं।
मोदी ने राजनीति व पार्टी लाइन से ऊपर उठकर राज्य सरकारों के कार्यों को भी सराहनीय बताया। एवियेशन सेक्टर,रेल विभाग के योगदान का उल्लेख किया। कहा कि ये सभी लोग दिन रात मेहनत कर रहे हैं ताकि देशवासियों को कम से कम समस्या हो। देश के हर हिस्से में दवाइयों को पहुंचाने के लिए लाइफ लाइन उड़ान नाम से एक विशेष अभियान चल रहा है। कम समय में देश के भीतर ही तीन लाख किलोमीटर की हवाई उड़ान भरी है। पांच सौ टन से अधिक मेडिकल सामग्री, देश के कोने-कोने में आप तक पहुंचाया है। इसी तरह रेलवे के साथ लॉकडाउन में भी लगातार मेहनत कर रहे हैं ताकि देश आम लोगों को जरूरी वस्तुओं में कमी न हो। उन्होंने जरूरतमंदों की सहायता करने वालों का भी अभिनन्दन किया। कहा कि लोग एक दूसरे की सहायता कर रहे हैं। जरूरतमंदों को राशन दिया जा रहा है। अस्पतालों में चिकित्सक नर्स अन्य लोग जी जान से जुटे है। मेडिकल उपकरण का देश में ही निर्माण हो रहा है।
मोदी ने कहा पूरा देश एक लक्ष्य एक दिशा साथ साथ चल रहा है। विपक्ष ने कई नेताओं ने ताली,थाली नाद,दीप प्रज्ववलन पर तंज कसा था। मोदी ने कहा कि ताली,थाली, दीया,मोमबत्ती आदि ने भावनाओं को जन्म दिया। जिस जज्बे से देशवासियों ने कुछ न कुछ करने की ठान ली, हर किसी को इन बातों ने प्रेरित किया है। हर कोई अपना योगदान देने को आतुर है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने भारत में विकसित देशों की तरह जांच की मांग की थी। मोदी ने इस पर कोई टिप्पणी नही की। लेकिन यह तय है कि लॉक डाउन से ही कोरोना का मुकाबला हो सकता है। इस पर तंज की जरूरत नहीं थी। दुनिया इससे मरने वालों की संख्या दो लाख से ज्यादा हो गई है। जिनमें से दो तिहाई सबसे बुरी तरह प्रभावित यूरोप से हैं। कोरोना वायरस से मरने वाले लोगों में से एक चौथाई लोगों की मौत अमेरिका में हुई है। इसके अलावा संक्रमण के एक तिहाई से अधिक मामले भी अमेरिका में सामने आए हैं। स्वास्थ व सुरक्षा कर्मियों पर हमले नरेंद्र मोदी सरकार को बर्दाश्त नहीं। इसीलिए वह हमला करने वालों पर नकेल कसने के लिए अध्यादेश लाई है।