लखनऊ सहित यूपी में कुनबा बढ़ाने में जुटे आतंकीॽ
मास्टरमाइंड बदरुद्दीन के गिरोह में लखनऊ सहित यूपी के कई जिलों के युवा शामिल
रकम की लालच देकर युवाओं को अपराध के दलदल में धकेला
ए अहमद सौदागर
लखनऊ।
गंगा जमुनी तहजीब के लिए जाने वाले राजधानी लखनऊ खुशकिस्मत रहा। काशी ब्लास्ट से पहले आतंकियों ने इस शहर को भी दहशत फ़ैलाने की कई बार कोशिश की, लेकिन उनके नापाक मंसूबे पूरे नहीं हुए और शहर तबाह होने से बच गया।
मंगलवार को लखनऊ के कुकरैल पिकनिक स्पॉट के पास से केरल राज्य के रहने वाले दो आतंकियों असद बदरुद्दीन व फिरोज खान की गिरफ्तारी के बाद यह साफ हो चुका है कि आतंकी संगठन बिखरे स्लीपिंग माड्यूल्स को जोड़कर फिर से कुनबा तैयार कर रहे हैं।
पकड़े गए दोनों आतंकी असद बदरुद्दीन और फिरोज खान के बारे में अपर पुलिस महानिदेशक कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार का दावा है कि यह वसंत पंचमी पर हिंदूवादी संगठनों के कार्यक्रम के अलावा देश व प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में बड़ी घटनाओं को अंजाम देने के फिराक में थे और ये दोनों पीएफ आई के लिए काम करते हैं।
सूत्र बताते हैं कि पीएफआई संगठन से जुड़ा मास्टरमाइंड केरल निवासी बदरुद्दीन व फिरोज खान की लखनऊ में हुई गिरफ्तारी के बाद जांच एजेंसियों को कई पुख्ता सुराग़ मिले हैं।
जांच-पड़ताल में सामने आया है कि बदरुद्दीन ने रुपयों की लालच देकर आतंकियों की मदद के लिए युवाओं की लंबी फौज तैयार कर ली है।
बताया जा रहा है कि राजधानी लखनऊ के अलावा यूपी के अलग-अलग जिलों के कई युवा उसके साथ आतंकियों के लिए काम कर रहे हैं।
शाहखर्ची और मौज-मस्ती के लिए उन्हें अपने गिरोह में शामिल कर लिया है। वहीं एसटीएफ के हत्थे चढ़े दोनों बदरुद्दीन व फिरोज ने पूछताछ में कई अहम राज उगले, जिसके आधार पर राज्य की एसटीएफ और एटीएस उन खतरनाक लोगों को पकड़ने के लिए फिलहाल जाल बिछा दिया है।
आतंकियों के नापाक इरादों को कुचलने की चुनौती
वसंत पंचमी के मौके पर होने वाले हिंदूवादी संगठनों के कार्यक्रमों में किसी बड़ी घटनाओं को अंजाम देने के लिए जा रहे पीएफ आई संगठनों के सदस्य असद बदरुद्दीन व फिरोज खान की गिरफ्तारी और उनके पास से बैटरी डेटोनेटर, एक बंडल तार, एक पिस्टल, 7 कारतूस, 4800 रुपए की नकदी, पैन कार्ड, एटीएम कार्ड व रेलवे टिकट सहित अन्य सामानों की बरामदगी से यह साफ है कि आतंकी संगठनों के इरादे ठीक नहीं हैं।
वे फिर माहौल बिगाड़ने की कोशिश में जुटे हैं।
हालात को काबू करने की कोशिशें जितनी तेज हो रही है देशद्रोही ताकतें उत्तर प्रदेश में उतनी ही तेजी से पांव पसार रही है।
सूत्र बताते हैं कि इंटेलिजेंस ब्यूरो ने जिम्मेदार अधिकारियों को कड़ी सुरक्षा के लिए आगाह किया है। सुरक्षा एजेंसियों ने के सामने आतंकी गतिविधियों और उनके नापाक इरादों को कुचलने की चुनौती बढ़ गई है।
खुफिया एजेंसियों को इनकी गर्दन तक पहुंचने में कामयाबी भी मिल रही।
मंगलवार को एसटीएफ के हत्थे चढ़े पीएफआई के दो सदस्यों असद बदरुद्दीन व फिरोज खान अपने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर वसंत पंचमी के मौके पर होने वाले हिंदूवादी संगठनों समारोहों के बड़े पदाधिकारियों पर हमला और कई प्रमुख स्थानों पर घटना करने के लिए तैयार कर रहा था, लेकिन इसके नापाक मंसूबे पर पानी फेरते हुए एसटीएफ की टीम ने धरदबोचा।
इस गिरफ्तारी के बाद से एक बार फिर साफ़ हो गया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पूर्वांचल के युवाओं को बरगला कर उन्हें अपराध के दलदल में धकेलने की कोशिश में जुटे हैं।
सूत्रों की मानें तो एटीएस, एसटीएफ के पास उत्तर प्रदेश के करीब दो दर्जन से अधिक शरणदाताओं और गतिविधियों में लिप्त लोगों के नाम मिल गए हैं।
उम्मीद है कि बहुत जल्द इनके चेहरे से नकाब उतर जाएंगे।
वारदात के बाद शुरू होती है चौकसीॽ
राजधानी लखनऊ सहित यूपी के कई जनपद आतंकियों के निशाने पर रहे हैं।
नापाक मंसूबों को पूरा करने के लिए आतंकियों ने कई बार इस शहर को पनाहगाह भी बनाया है।
गौर करें तो 23 नवंबर 2007 में आतंकियों ने सूबे की तीन अदालतों लखनऊ, फैजाबाद व वाराणसी में सीरियल ब्लास्ट कर सनसनी फैला दी थी। उसके बाद अदालतों, स्टेशनों व प्रमुख भवनों की सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे किए गए, लेकिन सब कुछ फाइलों में कैद होकर रह गए।
,आतंकियों के नापाक इरादों पर एक नजर,
वर्ष 2007 की 23 नवंबर को लखनऊ, फैजाबाद व वाराणसी की अदालतों में सीरियल ब्लास्ट हुए थे।
इसमें कई बेगुनाहों की जान गई थी।
सवाल है कि एसटीएफ के हत्थे चढ़े दो पापुलर फ्रंट अॉफ इंडिया- पीएफआई- के दो सदस्य असद बदरुद्दीन व फिरोज खान कई थाना और चौकियों को पार कर कुकरैल पिकनिक स्पॉट तक पहुंचने में कामयाब रहे लेकिन, स्थानीय पुलिस को को ज़रा भी भनक नहीं लग सकी। यह तो अच्छा रहा कि समय रहते हुए एसटीएफ को सूचना मिली और दोनों खतरनाक उपकरण के साथ पकड़े गए।