डॉ दिलीप अग्निहोत्री
नरेंद्र मोदी सरकार ने आर्थिक क्षेत्र से संबंधित दो लक्ष्य निर्धारित किये थे। इसके तहत देश की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर तक ले जाना और किसानों की आय को दोगुना करने हौसला बनाया गया था। उनकी सरकार ने इस दिशा में अनेक महत्वपूर्ण सुधार भी किये। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में भारत का रिकार्ड बेहतर हुआ है। किसानों पर फोकस किया गया।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट में सरकार ने आर्थिक लक्ष्य की तरफ कटिबद्धता उजागर की है। इस बजट से भारतीय अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर की बनाने का मार्ग प्रशस्त होगा।
रोजगार देने के लिए भी कारगर प्रयास किये गए है। इस बजट से निर्यात में वृद्धि होगी। इससे रोजगार सृजन का भी सृजन होगा। आर्थिक मंदी स्वभाविक है। इसको भी दूर करने का वित्त मंत्री ने विश्वास दिलाया है। एसेम्बल इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड को मेक इन इंडिया से जोड़ने पर भारत का निर्यात बढ़ेगा। भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए आवश्यक धन का प्रबंधन करना आसान होगा। नरेंद्र मोदी सरकार ने भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण संरचनात्मक सुधार किए है।
भारत विविधताओं का देश है। यहां प्रत्येक जिले की कोई न कोई विशेषता है। अलग अलग उत्पादों से इनकी पहचान जुड़ी है। लेकिन पिछली सरकारों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया था। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस ओर पहली बार ध्यान दिया। इस दिशा में सरकार ने कारगर कदम उठाये। इसका लाभ हुआ। उत्तर प्रदेश का निर्यात बहुत बढा। अब केंद्र में भी एक जिला एक उत्पाद योजना लागू की जाएगी। इसका लाभ राष्ट्रीय स्तर पर होगा।
भारत गांवों का देश है। कृषि को लाभप्रद बनाये बिना भारत का विकास नहीं हो सकता। इसी लिए मोदी सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य बनाया था। सरकार इस बजट के माध्यम से उस दिशा में आगे बढ़ेगी। भंडारण और कृषि उत्पाद को समय से बाजार तक पहुंचाना बड़ी समस्या रही है। जल्दी खराब होने वाले कृषि को सस्ते दामों पर बेचने को किसान विवश हो जाते है।
बजट में कृषि उत्पाद के लिए परिवहन व्यवस्था व भंडारण की सुविधा बढ़ाने का प्रस्ताव सराहनीय है। इससे किसानों को बड़ा लाभ होगा। वित्तमंत्री ने आयकर स्लैब में बदलाव की वर्षों पुरानी मांग पर ध्यान दिया। इस बदलाव से मध्यमवर्ग को राहत मिलेगी। वित्त मंत्री ने प्रस्ताव किया कि अब करदाताओं को पांच लाख तक कि आय पर कर नहीं देना होगा। इसके बाद साढ़े सात लाख रुपये की आय तक दस प्रतिशत ही कर देना होगा। महिला कल्याण,स्वच्छ जलवायु,रोजगार सृजन की योजनाएं भी सामाजिक कल्याण के अनुरूप है।
निर्मला सीतारमण के बजट की 10 बड़ी बातें
1- इस बजट का लक्ष्य लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना, कारोबार को मजबूत करना, सभी अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जाति / जनजाति की महिलाओं की आकांक्षाओं को पूरा करना है।
2- एक अप्रैल 2020 से जीएसटी की नयी सरलीकृत रिटर्न व्यवस्था लागू होगी। पिछले दो साल में जीएसटी में दो लाख नए करदाता जुड़े। 40 करोड़ रिटर्न दाखिल किये गए। 105 करोड़ ई-वे बिल सृजित हुए। जीएसटी से परिवहन और लॉजिस्टिक क्षेत्र की दक्षता बढी, इंस्पेक्टर राज समाप्त हुआ, लघु और मझोले उद्योग क्षेत्र को लाभ हुआ और ग्राहकों को एक लाख करोड़ रुपये का सालाना बचत हुई।
3- वित्त वर्ष 2014-15 से 2018-19 के दौरान 7.4 प्रतिशत की औसत आर्थिक वृद्धि हासिल की गयी। भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो गया। हम हर नागरिक के जीवन को सुगम बनाने का पूरा प्रयास करेंगे।
4- वित्त वर्ष 2020-21 का बजट मुख्यत: तीन बातों ‘आकांक्षी भारत, सभी के लिए आर्थिक विकास करने वाला भारत और सभी की देखभाल करने वाला समाज भारत पर केंद्रित।
5- मशीन लर्निंग, कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस), आंकड़ा विश्लेषण जैसी प्रौद्योगिकी में तीव्र वृद्धि हो रही है, उत्पादक श्रेणी में आने वाले लोगों की संख्या सर्वाधिक।
6- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट के दौरान एक शेर पढ़ा, हमारा वतन खिलते शालीमार बाग जैसा, हमारा वतन डल झील में खिलते कमल जैसा, नौजवानों के गर्म खून जैसा, मेरा वतन, तेरा वतन, हमारा वतन-दुनिया का सबसे प्यारा वतन।
7- सरकार 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लक्ष्य को लेकर प्रतिबद्ध है। बीस लाख किसानों को सोलर पंप लगाने में मदद देगी सरकार। जल संकट वाले 100 जिलों के लिए लायी जाएगी विस्तृत योजना।
8- सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के मंत्र पर सरकार काम करती है। बजट आकांक्षी भारत, आर्थिक विकास और संवेदनशील समाज की भावना पर केंद्रित।
9- सोलह लाख नये करदाता कर प्रणाली में शामिल हुए
10- कृषि बाजार को उदार बनाने, खेती को प्रतिस्पर्धी बनाने, कृषि आधारित गतिविधियों को सहायता उपलब्ध कराने की जरुरत, सतत फसल प्रतिरुप और प्रौद्योगिकी की जरुरत।