समावेशी विकास का बजट
राकेश कुमार मिश्रा
(अर्थशास्त्री)
योगी सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए पेश किए बजट को राजकोषीय अनुशासन के साथ विकासोन्मुख एवं समाज के सभी तबकों को समर्पित बजट कहा जा सकता है। बजट में राजकोषीय घाटे को राज्य सकल घरेलू उत्पाद के 2.97 प्रतिशत तक सीमित रखकर राजकोषीय सन्तुलन बनाए रखने का प्रयास है तो अधोसंरचना विकास पर विशेष जोर देकर विकास को गति प्रदान करने का संकल्प भी है। एक्सप्रेस वे निर्माण, मैट्रो परियोजनाओं, हवाई अड्डो का विस्तार ऊर्जा क्षेत्र के विकास एवं सिंचाई परियोजनाओं के लिए आवंटन में वृद्धि से अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने में निश्चित तौर पर मदद मिलेगी। इस बजट को उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में एक गम्भीर पहल मानना अनुचित नहीं होगा। बजट में सभी को कुछ न कुछ देने एवं उनके हितों को साधने की कोशिश की गई है। युवाओं को रोजगार के लिए 1200 करोड़ का आवंटन एवं हर जिले में 50 करोड़ की लागत से युवा हब बनाने की घोषणा स्वागत योग्य कदम है।
ग्रामीण विकास के लिए ग्रामीण जलापूर्ति कार्यक्रम एवं जल जीवन मिशन के लिए 3000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। जल शक्ति एवं नमामि गंगे को शामिल करने पर आवंटन 9000 करोड़ हो जाता है। ग्रामीण विकास के लिए कुल 20316.33 करोड़ एवं पंचायती राज के लिए 18460.88 करोड़ का आवंटन ग्रामीण विकास के लिए महत्वपूर्ण है। सिंचाई परियोजनाओं के लिए 16973 करोड़ की धनराशि उपलब्ध कराना कृषि क्षेत्र को गति प्रदान करने के साथ साथ किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगा। युवाओं के लिए दो नई योजनाएं मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना एवं युवा उद्यमिता विकास अभियान शुरू करने का निर्णय भी सराहनीय है। उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के अन्तर्गत दो लाख युवाओं को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य है। वृद्धावस्था /किसान पेंशन योजना के लिए 1459 करोड़ की व्यवस्था की गई है। नारी सशक्तिकरण की दिशा में मुख्यमंत्री कन्या सुमंगल योजना एवं निराश्रित महिला पेंशन योजना के आवंटन में वृद्धि सरकार की संवेदनशीलता को दर्शाती है। इसी तरह राष्ट्रीय पोषण अभियान हेतु 4000 करोड़ रुपये का आवंटन भी महत्वपूर्ण है।
पर्यावरण संरक्षण के लिए 2022 तक 10700 मेगावाटमेगावाट क्षमता सौर विद्युत उत्पादन का लक्ष्य है। ऊर्जा क्षेत्र के लिए 33754 करोड़ रुपये एवं लोक निर्माण कार्य के लिए 27838 करोड़ रुपये का आवंटन यह बताता है कि सरकार अधोसंरचना के विकास हेतु गंभीर है और यह उसकी प्रमुख प्राथमिकता में है।
पराली प्रबंधन के लिए भी 300 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। किसानों को उपज का बेहतर मूल्य सुनिश्चित करने के लिए कृषि बाजार को नये आयाम देने पर भी चिंता दिखाई गई है तथा किसानों की आय दुगनी करने के लिए कृषि निर्यात बढ़ाने एवं राष्ट्रीय कृषि बाजार की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में कोशिश तेज करने की बात कही गई है। ग्रामीण क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने पर जोर देते हुए 15860 करोड़ रुपये का आवंटन चिकित्सा एवं परिवार कल्याण विभाग के लिए किया गया है। प्राथमिक शिक्षा के लिए 55064 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं तो प्रदेश में सात नये विश्वविद्यालय खोलने की घोषणा भी की गई है।
काशी, मथुरा, गोरखपुर एवं अयोध्या के धार्मिक महत्व को देखते हुए इन शहरों को टूरिज्म की दृष्टि से विकसित करने हेतु बजट में महत्वपूर्ण धनराशि उपलब्ध करायी गई है। योगी सरकार ने इस बजट में केन्द्र की विभिन्न योजनाओं के लिए भी महत्वपूर्ण धनराशि उपलब्ध कराई गई है। प्रधानमन्त्री आवास योजना शहरी के लिए भी 5768.54 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। इसी तरह स्वच्छ भारत मिशन के लिए भी 5791 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। सरकार ने मुस्लिम विरोधी आरोप को खारिज करते हुए मदरसों में आधुनिक शिक्षा के लिए भी 479 करोड़ रुपये की धनराशि उपलब्ध करायी है। सैफई को भी 300 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि का आवंटन किया गया है। उम्मीद की जा सकती है कि योगी सरकार का यह बजट प्रदेश के विकास को गति प्रदान करने के साथ साथ क्षेत्रीय असंतुलन को भी कम करने में सहायक होगा तथा समावेशी विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
लेखक विद्यांत हिन्दू पीजी कॉलेज में अर्थशास्त्र के विभागाध्यक्ष है