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जब राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री ने परोसा भोजन!!!

आहार,उपचार और उपकार

डॉ दिलीप अग्निहोत्री

मनुष्य के जीवन में आहार और औषधि दोनों का महत्व है। बेहतर समाज वह होता है, जिसमें लोगों की ये दोनों आवश्यकताएं पूरी होती रहे। केवल सरकार ही नहीं सक्षम लोगों की भी यह जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वह वंचित वर्ग के प्रति उपकार का भाव रखें, उनकी आहार व औषधि संबन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति में सहयोगी बने।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मथुरा वृंदावन यात्रा इन दोनों ही सन्दर्भो में महत्वपूर्ण रही। राष्ट्रपति का लोगों को स्वयं भोजन परोसना,उनके इस कार्य में राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सहयोग करना अदभुत था। इसका प्रतीकात्मक महत्व भी था। इसकी प्रेरणा सक्षम लोगों को अवश्य लेनी चाहिए।

राष्ट्रपति मथुरा में अक्षय पात्र संस्था में गए। यहां उन्होंने परिषदीय विद्यालयों के लिए तैयार किए जाने वाले भोजन की व्यवस्था देखी। भोजन बनाने वाली मशीनों, आटा गूंथने वाली मशीनों, आॅटोमेटिक रोटियों का बनना तथा भोजन सप्लाई की व्यवस्था आदि का निरीक्षण किया। इतना ही नहीं परिषदीय विद्यालयों के विद्यार्थियों को राष्ट्रपति, राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री ने स्वयं भोजन परोसा।

इन्होंने बांके बिहारी मंदिर व श्रीराधा वृन्दावन चन्द्रोदय मन्दिर परिसर में प्रभु राधा कृष्ण की पूजा अर्चना की।
राष्ट्रपति रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम भी गए। अपने अनुभव साझा किए। कहा कि करीब दो वर्ष पहले वह यहां आए थे। यहां के लोगों द्वारा रोगियों की सेवा को प्रत्यक्ष देखने का अवसर प्राप्त हुआ था। इस संस्था की स्थापना एक सौ बारह वर्ष पहले मात्र चार बिस्तर से हुई थी। इस संस्था में महात्मा गांधी, सुभाष चन्द्र बोस, श्यामा प्रसाद मुखर्जी एवं पूर्व राष्ट्रपति राधाकृष्णन जैसे महान लोगों का योगदान रहा है।आज यह एक पूर्ण विकसित एवं आधुनिक अस्पताल है।

इसमें एक वर्ष में पांच लाख पचास हजार लोगों ने स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया है। कैंसर वाॅर्ड, कैंसर आॅपरेशन थियेटर, महिला सर्जिकल वाॅर्ड, नवजात सघन चिकित्सा इकाई आदि के माध्यम से गरीब और कमजोर लोगों को अच्छी चिकित्सा सुविधा प्राप्त हो रही है। देश विदेश में रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम के दो सौ से अधिक केन्द्र स्वामी विवेकानन्द जी की मानव सेवा एवं नर सेवा की भावना पर कार्य कर रहे हैं। आनन्दीबेन पटेल जी ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करना प्रत्येक मनुष्य का अधिकार है। एक स्वस्थ व्यक्ति ही देश के विकास में अपना सहयोग प्रदान कर सकता है। हमारी संस्कृति है कि सभी सुखी हों और सभी निरोगी हों।

प्रधानमंत्री द्वारा वंचित एवं गरीब लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए आयुष्मान भारत योजना लागू की गयी है। स्वामी विवेकानन्द जी ने अपने गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस के नाम पर इस संस्था को शुरू किया था। रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम द्वारा अपने अनेक मठों के माध्यम से निःस्वार्थ सेवा का कार्य किया जा रहा है। स्वामी विवेकानन्द जी द्वारा अपने गुरु परमहंस जी की मानवता वादी सोच को दूर दूर तक फैलाया गया।

आधुनिक सुविधाओं से युक्त यह अस्पताल गरीब एवं कमजोर लोगों को चिकित्सा भविष्य में भी उपलब्ध कराता रहेगा। योगी आदित्यनाथ गोस्वामी तुलसी दास की चौपाई का उद्धरण दिया, परहित सरिस धर्म नहीं भाई,। भारत की सनातन परम्परा ने सेवा को ही धर्म माना है। विवेकानन्द ने अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस जी के मानव सेवाभाव को आगे बढ़ाया और धर्म को सेवा के साथ जोड़कर लोक कल्याण का माध्यम बनाया है। इसका प्रतिबिम्ब रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम से देखने को मिलता है।
मरीजों के उपचार के लिए भरोसेमंद इलाज उपलब्ध हो जाय तो इससे बड़ा मानव कल्याण का कार्य कोई दूसरा नहीं हो सकता। यह ईश्वर की सबसे बड़ी पूजा है। योगी ने नरेन्द्र मोदी द्वारा लागू की गयी आयुष्मान भारत योजना का उल्लेख किया। राज्य सरकार के पास प्रत्येक व्यक्ति को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए साधन मौजूद हैं। इस प्रकार की संस्था को स्थापित करना जनहित में है। धर्मार्थ संस्थाओं का योगदान भी सराहनीय रहा है।

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