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आखिर चिदंबरम को क्यों गिरफ्तार किया गया ?

 

विधि विशेषज्ञ एवं वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश सिंह की कलम से आज की बहुचर्चित विश्लेष्णात्मक खबर

नयी दिल्ली

भारत के पूर्व वित्त एवं गृह मंत्री तथा कांग्रेस के कद्दावर नेता पी  चिदंबरम के कारनामों से उनके प्रति किसी को भी सहानुभूति नहीं हो सकती है। लेकिन अभी तक पी चिदंबरम और आईएनएक्स मीडिया के बीच सीधे संबंध होने के कोई दस्तावेज बरामद नहीं हुए हैं। यही नहीं इंद्राणी ने चिदंबरम को कितनी रकम रिश्वत के तौर पर दी, इसका कोई खुलासा नहीं हुआ है। फिरभी न केवल चिदंबरम को गिरफ्तार किया गया है बल्कि 26 अगस्त तक सीबीआई रिमांड में भी  भेज दिया गया है।यह मामला पूरी दुनिया के विधि विशेषज्ञों के लिए कौतूहल का केंद्र बन गया है। आइये जानते हैं कि क्या था पूरा मामला?

चिदंबरम पर शिकंजा कसने के पीछे इंद्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी के बयान हैं। आईएनएक्स मीडिया के प्रमोटर्स मुखर्जी दंपति के दिए बयान कांग्रेस नेता के खिलाफ जांच एजेंसियों का मजबूत आधार बने हैं। जांच एजेंसी को दिए बयान में इंद्राणी ने कहा है कि आईएनएक्स मीडिया की अर्जी फॉरेन इनवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) के पास थी। इंद्राणी ने कहा कि उन्होंने पति पीटर मुखर्जी और कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ पूर्व वित्त मंत्री के दफ्तर नॉर्थ ब्लॉक में जाकर मुलाकात की थी।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को दिए अपने बयान में इंद्राणी ने बताया है कि चिदंबरम ने पीटर के साथ बातचीत की और एफडीआई वाली आईएनएक्स मीडिया की अर्जी की प्रति पीटर ने उन्हें सौंपी। एफआईपीबी की मंजूरी के बदले चिदंबरम ने पीटर से कहा कि उनके बेटे कार्ति के बिजनेस में मदद करनी होगी। ईडी ने इस बयान को चार्जशीट में दर्ज किया और इसे कोर्ट में भी सबूत के तौर पर पेश किया।

ईडी ने कोर्ट को दी जानकारी पर कहा है कि इंद्राणी ने चिदंबरम को कितनी रकम रिश्वत के तौर पर दी, इसका कोई खुलासा नहीं हुआ है। जांच एजेंसी के मुताबिक, “एफआईपीबी की मंजूरी के बाद 2008 में जब अनियमितताओं की बात सामने आई तो पीटर ने चिदंबरम से मिलने की कोशिश की। वो उस वक्त वित्त मंत्री थे और पीटर ने मुश्किलों के समाधान के लिए उनसे मिलने का समय तय किया। तब पीटर ने कहा था कि कथित अनियमितताओं से संबंधित परेशानी को कार्ति चिदंबरम की सलाह और मदद से सुलझाया जा सकता है, क्योंकि उनके पिता ही वित्त मंत्री हैं।

चिदंबरम के अलावा उनके बेटे कार्ति चिदंबरम के खिलाफ भी ये आरोप हैं कि उन्होंने आईएनएक्स मीडिया के खिलाफ संभावित जांच को रुकवाने के लिए 10 लाख डॉलर की मांग की थी। इस मामले में कार्ति चिदंबरम को बीते साल 28 फरवरी को गिरफ्तार भी किया गया था। सीबीआई से इंद्राणी ने पूछताछ में कहा था कि कार्ति ने उनसे पैसों की मांग की थी। ये सौदा दिल्ली के एक पांच सितारा होटल में तय हुआ था। फिलहाल इंद्राणी मुखर्जी अपनी बेटी शीना बोरा की हत्या के आरोप में जेल में हैं।

आईएनएक्स मीडिया मामले में सीबीआई पी चिदंबरम से फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रोमोशन बोर्ड की मंजूरी और कार्ति चिदंबरम की कंपनी द्वारा ली गई कंसल्टेंसी फीस को लेकर पूछताछ कर रही है। सीबीआई का दावा है कि एडवांस स्ट्रैटेजिक कंसल्टिंग प्राइवेंट लिमिटेड (एएससीपीएल) और अन्य कंपनियों ने आईएनएक्स मीडिया से एफआईपीबी की मंजूरी के लिए पैसा लिया था।एएससीपीएल और अन्य कंपनियों को कार्ति चिदंबरम ने बनाया है।

सीबीआई के मुताबिक कार्ति चिदंबरम और पी चिदंबरम ने आईएनएक्स मीडिया की मदद की। एफआईपीबी की मंजूरी के लिए आईएनएक्स मीडिया ने एएससीपीएल और अन्य कंपनियों को जेनेवा, अमेरिका और सिंगापुर स्थित बैंकों के जरिए भुगतान किया। इस मामले की जांच में बरामद हुए दस्तावेजों और ई-मेल से साफ होता है कि पैसे का भुगतान एफआईपीबी की मंजूरी के लिए दिया गया।उस समय पी चिदंबरम देश के वित्तमंत्री थे।उन्होंने एफआईपीबी की मंजूरी देने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया।

सीबीआई का यह भी दावा है कि एएससीपीएल और अन्य कंपनियों ने दिखावे के लिए फेक तरीके से क्रिएटिंग मीडिया कंटेंट, मार्केट रिसर्च के नाम पर कंसल्टेंसी उपलब्ध कराई।हालांकि पी चिदंबरम और आईएनएक्स मीडिया के बीच सीधे संबंध होने के कोई दस्तावेज बरामद नहीं हुए हैं।

इसके अलावा दिसंबर 2016 में ईडी ने सीबीआई को इस मामले में एक खत लिखा था, जिसमें कहा गया कि मामले की जांच में खुलासा हुआ है कि एएससीपीएल ने कंसल्टेंसी के नाम पर फंड लिया। इसका मकसद वित्त मंत्रालय से एफआईपीबी की मंजूरी दिलाना था।ईडी ने सीबीआई को लिखे खत में कहा था कि इसको लेकर एएससीपीएल ने कभी  कोई कंसल्टेंसी और टेंडर एडवाइस भी जारी नहीं किया।ईडी ने यह भी बताया कि एएसपीसीएल पर कार्ति चिदंबरम का नियंत्रण है। इस कंपनी को कार्ति के फायदे के लिए ही बनाया गया।

ईडी ने सीबीआई को बताया कि एएससीपीएल के परिसर से बरामद दस्तावजों में खुलासा हुआ कि आईएनएक्स मीडिया ने एएससीपीएल को 15 जुलाई 2008 को चेक से  भुगतान किया। आईएनएक्स मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के एमडी और सीएफओ ने भी एएससीपीएल को भुगतान किए जाने की बात स्वीकार की।उन्होंने यह भी कहा कि एफआईपीबी की मंजूरी के लिए एएससीपीएल को पैसे का भुगतान किया गया था। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इस चेक में इंद्राणी मुखर्जी ने दस्तखत किए थे।इसके बाद 11 नवंबर 2008 को आईएनएक्स न्यूज को वित्त मंत्रालय से मंजूरी मिल गयी।

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