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यह कानून “नागरिकता” खत्‍म नहीं करता: नकवी

18 दिसंबर अल्पसंख्यक दिवस

नागरिकता कानून का उद्देश्‍य केवल नागरिकता प्रदान करना है और किसी भी तरह से यह नागरिकता खत्‍म नहीं करता: नकवी

नई दिल्ली

अल्‍पसंख्‍यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख्‍तार अब्‍बास नकवी ने अल्पसंख्यक दिवस पर एक कार्यक्रम में कहा कि किसी भी भारतीय नागरिक की नागरिकता संशोधन अधिनियम के अंतर्गत नागरिकता खत्‍म नहीं की जाएगी।


श्री नकवी ने आगाह किया कि निहित स्‍वार्थ वाले साम्‍प्रदायिक तत्‍व विभाजनकारी राजनीति करके समाज में भय का वातावरण बनाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्‍होंने जनता से शांति और सद्भाव बनाए रखने और ऐसे तत्‍वों से सावधान रहने की अपील की।

श्री नकवी ने कहा कि एनडीए सरकार ने अल्‍पसंख्‍यकों के कल्‍याण और सशक्तिकरण के लिए कई कदम उठाए हैं। उन्‍होंने कहा कि “झूठ के झांसे से सच के सांचे” पर हमला करने की कोशिश हो रही है।

आज राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग द्वारा आयोजित “अल्पसंख्यक दिवस” कार्यक्रम में श्री नकवी ने कहा कि झूठ के पैर नहीं होते, वह औंधे मुंह गिरता है, जो लोग “सत्यमेव जयते” की जगह “झूठमेव जयते” के सिद्धांत के साथ अमन को अफवाह से अगवा करने की कोशिश कर रहे हैं वे नाकाम होंगे और “सत्यमेव जयते” ही “झूठमेव जयते” की साजिशी सियासत को पटखनी देगा।

श्री नकवी ने कहा कि जनतंत्र से परास्त लोग “गुंडातंत्र” के जरिये देश के सौहार्द और विश्वास के माहौल को नुकसान पहुंचाने की साजिश कर रहे हैं। हमें जनतंत्र और सौहार्द की ताकत से इसे परास्त करना होगा।

श्री नकवी ने कहा कि एनआरसी या नागरिकता कानून से किसी भी भारतीय नागरिक की नागरिकता पर कोई प्रश्नचिन्ह या खतरा नहीं है। हमें “दुष्प्रचार के दानवों” से होशियार रहना चाहिए। सिटीजनशिप एक्ट, नागरिकता देने के लिए है, छीनने के लिए नहीं। हिंदुस्तान में अल्पसंख्यक तरक्की के बराबर के हिस्सेदार-भागीदार हैं। एनआरसी और नागरिकता बिल को जोड़ कर देश को गुमराह करने के षड़यंत्र को परास्त करना है। 1951 में असम में शुरू एनआरसी प्रक्रिया अभी ख़त्म नहीं हुई है। लिस्ट में जिनका नाम नहीं आया है वो ट्रिब्यूनल और उसके बाद अदालतों में अपील कर सकते हैं। सरकार भी उनकी मदद कर रही है।

श्री नकवी ने कहा कि “अमानवीय अपमान” को “मानवीय सम्मान” दिलाने की भावना से भरपूर है नागरिकता संशोधन बिल। नागरिकता बिल 2019 “अमानवीय अन्याय” से पीड़ितों को “मानवीय न्याय” दिलाने के संकल्प का सच है। इसे भारतीय नागरिकों की नागरिकता के साथ जोड़ना छल है।

श्री नकवी ने कहा कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा था कि भारत मानवता का समुद्र है। “वसुधैव कुटुम्बकम” का मूल संस्कार विचारधारा है। इसी मानवता के समुद्र, इसी “वसुधैव कुटुम्बकम” के संस्कार से भरपूर भारत ने दशकों से जुल्म और अन्याय से पीड़ित लोगों को न्याय दिलाने का कदम उठाया है।

श्री नकवी ने कहा कि भारतीय अल्पसंख्यकों की “सुरक्षा, समावेशी समृद्धि एवं सम्मान”, “संवैधानिक संकल्प” से ज्यादा समाज की “सकारात्मक सोंच” का नतीजा है। भारत के बहुसंख्यक समाज की सोंच, अपने देश के अल्पसंख्यकों की “सुरक्षा और सम्मान के संस्कार एवं संकल्प” से सराबोर है।

श्री नकवी ने कहा कि हिंदुस्तान अल्पसंख्यकों के लिए जन्नत साबित हुआ है जबकि पाकिस्तान अल्पसंख्यकों के लिए जहन्नुम बन गया है। बंटवारे के बाद हिंदुस्तान के बहुसंख्यकों ने पंथनिरपेक्षता का रास्ता चुना, वहीँ पाकिस्तान ने इस्लामी राष्ट्र का रास्ता चुना। हिंदुस्तान के बहुसंख्यकों के डीएनए में धर्मनिरपेक्षता एवं सहिष्णुता है। यही भारत के “अनेकता में एकता” की ताकत है।

श्री नकवी ने कहा कि इसके अलावा “हुनर हाट”, “गरीब नवाज़ रोजगार योजना”, सीखो और कमाओ, नई मंजिल, नई रौशनी आदि रोजगारपरक कौशल विकास योजनाओं के माध्यम से पिछले 5 वर्षों में अल्पसंख्यक समुदाय के 8 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार और रोजगार के मौके उपलब्ध कराये गए हैं। शैक्षिक सशक्तिकरण की दिशा में पिछले 5 वर्षों में 3 करोड़ 20 लाख अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र-छात्राओं को विभिन्न स्कॉलरशिप्स दी गई हैं। जिनमे लगभग 60 प्रतिशत लड़कियां शामिल हैं।

श्री नकवी ने कहा कि प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत देश भर में अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर आधारभूत सुविधाओं, स्कूल, कॉलेज, आईटीआई, हॉस्पिटल, हॉस्टल, सद्भाव मंडप, कॉमन सर्विस सेंटर, हुनर हब, आवासीय स्कूल, मार्किट शेड इत्यादि का निर्माण किया गया है।

इस अवसर पर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष श्री गयोरुल हसन रिजवी, आयोग के सदस्य, वरिष्ठ अधिकारी एवं अन्य लोग उपस्थित रहे।

इस अवसर पर श्री नकवी ने जम्मू-कश्मीर के सीमांत जिले राजौरी के एक सामान्य परिवार की बेटी इरमिम शमीम को पुरस्कृत किया जिन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर एक बड़ा कीर्तिमान स्थापित किया है। राजौरी जिले के धनौर गांव की निवासी इरमिम शमीम ने सीमित संसाधनों और गरीबी की स्थितियों के बावजूद इस वर्ष प्रतिष्ठित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) की प्रवेश परीक्षा पास की, वह ऐसा करने वाली पहली जम्मू-कश्मीर से गुर्जर समुदाय की लड़की हैं।

भारत में अल्पसंख्यक अधिकार दिवस 18 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन अल्पसंख्यकों के अधिकारों को याद दिलाने और लोगों को इसके बारे में शिक्षित करने का है। यह भारत में सभी अल्पसंख्यकों के समुदायों की धार्मिक सद्भाव, सम्मान और बेहतर समझ पर केंद्रित है।

इस दिन का उद्देश्य भाषाई, धर्म, जाति और रंग अल्पसंख्यक के साथ एक स्थान रखने के लिए व्यक्तियों के विशेषाधिकारों को आगे बढ़ाना और उनकी रक्षा करना है।

इतिहास

अल्पसंख्यक अधिकार दिवस राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM) द्वारा मनाया जाता है। 18 दिसंबर 1992 को, संयुक्त राष्ट्र ने धार्मिक या भाषाई राष्ट्रीय या जातीय अल्पसंख्यकों से संबंधित व्यक्ति के अधिकारों पर वक्तव्य को अपनाया। इसने अल्पसंख्यकों के धार्मिक भाषाई, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान को उजागर किया, जो कि राज्यों द्वारा और व्यक्तिगत क्षेत्रों में संरक्षित किया जाएगा।

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की स्थापना 29 जनवरी 2006 को हुई थी। इसकी स्थापना सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा की गई थी। मंत्री जिम्मेदार हैं मुख्तार अब्बास नकवी।

संवैधानिक और सांविधिक निकाय जो सरकार द्वारा स्थापित किए गए हैं। भारत के केंद्रीय वक्फ परिषद (CWC), राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM), आयुक्त भाषाई अल्पसंख्यक आयोग (CLM) हैं।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM):
सरकार ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 के तहत NCM की स्थापना की है। भारत के छह धार्मिक समुदायों अर्थात् मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध, पारसी और जैन को भारत में अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में अधिसूचित किया गया है।

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