नयी दिल्ली. तमाम आशंकाओं के बीच सोमवार को कश्मीर में बड़े ही सुकून के साथ ईद मनायी गयी. मस्जिदों में अज़ान दी गयी, लोगों ने नमाज़ अदा की और फिर एक-दूसरे को ईद की बधाइयां भी दीं. हालाँकि विदेशी मीडिया ने सोशल साइट्स पर छिटपुट बेचैनियाँ और लोगों की नाराजगियां दिखाने की कोशिश की लेकिन उसका असर पूरे कश्मीर पर नहीं पड़ा. सुरक्षा व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त होने और लोगों का विश्वास सरकार पर होने के कारण पूरे कश्मीर में कहीं भी फायरिंग की एक भी घटना सामने नहीं आयी है.
दो दिन पहले तक जम्मू-कश्मीर में ईद से पहले हालात काफी हद तक सामान्य हो जायेंगें, ऐसा दवा किआ जा रहा था. प्रशासन के प्रयासों से ऐसा प्रतीत भी हो रहा था. आवाम को ज्यादा दिक्कतों का सामना न करना पड़े इसके लिए शासन-प्रशासन जनता की कुछ बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में जुट गया था. लोग आपस में संवाद कर सकें और ईद पर अपने दोस्तों-रिश्तेदारों से बात कर हाल-चाल जानें और मुबारकबाद भी दे सकें इसके लिए जम्मू कश्मीर में सरकार द्वारा तीन सौ विशेष टेलीफोन बूथ लगाये गए थे. साथ ही दिल्ली और अलीगढ़ सहित देश भर में कहीं भी रह रहे कश्मीरी छात्रों के लिए परिवार से बात करने और ईद पर बधाई देने के लिए के लिए व्यवस्थाएं भी की गई थीं.
इसके अलावा प्रशासन की ओर से कहा गया कि जम्मू और कश्मीर में सरकार द्वारा आवश्यक वस्तुओं का पर्याप्त भंडारण कराया गया था. 65 दिनों के लिए पर्याप्त गेहूं, 55 दिनों के लिए चावल, 17 दिनों के लिए मटन, 1 महीने के लिए पोल्ट्री, 35 दिनों के लिए केरोसीन तेल,1 महीने के लिए एलपीजी और 28 दिनों के लिए डीजल और पेट्रोल स्टॉक किया गया है.
ज्ञातव्य है कि अनुछेच्द 370 को हटाए जाने के तुरंत बाद से ही घाटी में संचार सेवा को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. वहीं घाटी के कई इलाकों में कर्फ्यू और धारा 144 भी लगाई गई है. जिससे यहां के घाटी में जीवन की रफ्तार थम सी गई है. हालांकि, सरकार और प्रशासन स्थिति को सामान्य करने के लिए लगातार कोशिशें कर रही हैं.