रामधनी द्विवेदी आज जीवन के 71 वें वर्ष में जब कभी रुक कर थोड़ा पीछे की तरफ झांकता हूं तो सब कुछ सपना सा लगता है। सपना जो सोच कर नहीं देखा जाता। जिसमें आदमी कहां से शुरू हो कर कहां पहुंच जाता है? पता नहीं क्या-क्या घटित होता है? ...
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